एक माँ ने
एक बच्चे को जन्म दिया
इस बात को इस तरह भी कह सकते हैं
एक बच्चे ने
माँ को जन्म दिया
क्योंकि बच्चे का जन्म
महज़ एक बच्चे का जन्म नहीं होता है
यह तो माँ का पुनर्जन्म होता है
कतरा-कतरा संजोती कोख के लिए
न जाने कितनी बार मरती है माँ
आशंकाओं से घिरी, अनहोनी से
हर पल कितना डरती है माँ
जतन, लगन और स्नेह से
पालती और हिफाज़त करती है माँ
अजन्मे के लिए तो
घनी छाँव और विस्तृत धरती हैं माँ
बच्चे सा हँसना, बच्चे सा रोना
एक आंख सोना, एक आंख जगना
दुखी, पर खुशी देने के लिए
अनगिन स्वांग भरती है माँ
अजन्मे के लिए तो धरती है माँ
माँ शब्द
ओंकार से भी सघन है
ऐसी माँ को मेरा
शत-शत नमन है
5 टिप्पणियां:
man ko mera bhi shat shat naman hai.
इस कविता की शुरूआत बहुत सुंदर ढंग से की गई है!
प्रारंभ तो निश्चय ही अत्यन्त प्रभावी है । धन्यवाद ।
Very good and sensitive words.Thanks
yours thankfully
Dr.Bhoopendra
आपकी यह संपूर्ण कविता के लिये आपको शत-शत प्रणाम।
"माँ' से जुडी हर कविता के कविओं को मेरा सलाम।
कृपया मेरे ब्लोग http://razia786.wordpress.com पर ज़रूर पधारें।
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