रविवार, 10 मई 2009

एक बच्चे ने माँ को जन्म दिया











एक माँ ने
एक बच्चे को जन्म दिया
इस बात को इस तरह भी कह सकते हैं
एक बच्चे ने
माँ को जन्म दिया
क्योंकि बच्चे का जन्म
महज़ एक बच्चे का जन्म नहीं होता है
यह तो माँ का पुनर्जन्म होता है


कतरा-कतरा संजोती कोख के लिए
न जाने कितनी बार मरती है माँ
आशंकाओं से घिरी, अनहोनी से
हर पल कितना डरती है माँ
जतन, लगन और स्नेह से
पालती और हिफाज़त करती है माँ

अजन्मे के लिए तो
घनी छाँव और विस्तृत धरती हैं माँ


बच्चे सा हँसना, बच्चे सा रोना
एक आंख सोना, एक आंख जगना
दुखी, पर खुशी देने के लिए
अनगिन स्वांग भरती है माँ
अजन्मे के लिए तो धरती है माँ


माँ शब्द
ओंकार से भी सघन है
ऐसी माँ को मेरा
शत-शत नमन है

5 टिप्‍पणियां:

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

man ko mera bhi shat shat naman hai.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस कविता की शुरूआत बहुत सुंदर ढंग से की गई है!

Himanshu Pandey ने कहा…

प्रारंभ तो निश्चय ही अत्यन्त प्रभावी है । धन्यवाद ।

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

Very good and sensitive words.Thanks
yours thankfully
Dr.Bhoopendra

रज़िया "राज़" ने कहा…

आपकी यह संपूर्ण कविता के लिये आपको शत-शत प्रणाम।

"माँ' से जुडी हर कविता के कविओं को मेरा सलाम।

कृपया मेरे ब्लोग http://razia786.wordpress.com पर ज़रूर पधारें।