शनिवार, 11 जुलाई 2009

निरावेशन की शून्यता मंजूर नहीं --


तुम प्रोटोन
मैं इलेक्ट्रोन
तुम्हारा आकर्षण
खींचता है मुझे तुम्हारी ओर
अनवरत; निरंतर
पर मैं आर्बिट से आबध्द
तुम्हारी ओर
आ भी तो नहीं सकता
.
तुम आवेशित;
मैं आवेशित
फिर बीच में क्यों है
न्यूट्रोन निरावेशित
उफ़! मैं तुमसे दूर
जा भी तो नहीं सकता
शायद,
तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमना
मेरी नियति है
क्योंकि तुमसे मिलते ही
हम दोनों का समस्त आवेश
शून्य हो जाएगा
.
नहीं-नहीं !!
निरावेशन की
शून्यता मुझे मंजूर नहीं है
बेशक मैं
घूमता रहूँगा तुम्हारे इर्द-गिर्द
ताउम्र बिना रुके; निरंतर ---

31 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

इस एलेक्ट्रोनिक प्यार के क्या कहने। बहुत खूब वर्मा जी,इस कहते हैं वैज्ञानिक इश्क।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

vikram7 ने कहा…

बहुत खूब

vandana gupta ने कहा…

aaj to poori science ghol ka rrakh di ............magar usmein chupe bhav bahut hi gahre hain.sundar prastuti.

ओम आर्य ने कहा…

वाह आपने जो प्रयोग दिखया है ............कमाल ही नही बल्कि आपने यह साबित हो गया कि प्यार प्यार ही होता है .............चाहे विषय कोई भी हो ..........भाव आ ही जाते है...नतमस्तक

USHA GAUR ने कहा…

इस प्रयोग के लिये हार्दिक बधाई. साइंस और साहित्य का समावेश बहुत खूबसूरती से किया है.
बहुत खूब

Razia ने कहा…

बहुत खूब
इलेक्ट्रानिक लव
वाह वाह
बहुत सुन्दर

बेनामी ने कहा…

Waah kya baat hai........
Apne to Love In Chemistry hi bana diya............
Ham Jaise science k students chemistry se door bhagte the par ab to isme bhi pyar k bhav jaga diye aapne..........
bahut khub

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

यह भी खूब रही...
द्वंद का क्या खूब प्रतीक निकालकर लाए हैं आप...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

नमस्कार,
इस परमाणविक प्रेम के लिये शुभकामनाएं.....
लेकिन मुझे डर है कि दूसरे तत्व के किसी बाहरी इलेक्ट्रान से मिलकर दूसरा बान्ड न बन जाय.....इस बात का ध्यान रखियेगा.....
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...

"अर्श" ने कहा…

is pryog ke liye badhaee shabdon ka sameekaran badhiya hai....


arsh

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

shunya mujhe manzoor nahi...boht hi khoobsurat andaz...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Vaah.........ljawaab prayog kiya hai aapne is rachna mei. Science aur prem ko baandh diya hei shabdon dwaara....

prem hai ho sab kuch hai..... ghoomne ka kram bhi prem se hi hai....

निर्मला कपिला ने कहा…

िस साइँटिफिक प्यार की ाभिव्यक्ति ने भी साबित कर दिया कि प्यार सदा शाश्वत और प्रामाणिक संवेदना है बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति है बधाई

विवेक सिंह ने कहा…

अरे यह कवि कहाँ जा पहुँचा !

लता 'हया' ने कहा…

अद्भुत पोस्ट...प्यार की नयी परिभाषा...वाह...
मेरे ब्लॉग पर आने और हौसला अफजाई का शुक्रिया.
हया

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

वर्मा साहब,

प्यार जिसे अभी भी मनोवैज्ञानिक किसी रासायनिक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करने के लिये खोज में जुटे है, उसे भौतिक रूप से परिभाषित करने का अंदाज पसंद आया।

हालांकि s,p,d,f ऑर्बिटल जम्प के बारे में क्या ख्याल है जहाँ एक अपने इलेक्ट्रान को लूज कर दूसरे एफिनिटी को युग्मित कर स्थिर हो जाता है। शायद यह अदान-प्रदान ही परिवार की बुनियाद है।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

वर्तिका ने कहा…

Quite interesting sir.... sach prem to prem hi hai phir chahe use jin bhi niyamon se bandh kar dekho........... patangaa shamaa ke ird-gird hi rahega........ ab hum chahe ise jaise paribhashit karein... :)

sanjay vyas ने कहा…

विज्ञान की पढाई में काश एक चैप्टर यूँ भी होता!

Prem Farukhabadi ने कहा…

aisi khoj to ek premi dil hi kar sakta hai magar samjhne vaalon ki kami dekhi gayi hai.dil se badhaiiiiii.

M VERMA ने कहा…

मेरे इस प्रयोग को आप सब का इतना आशीर्वाद मिला मै तो धन्य हुआ.

शोभना चौरे ने कहा…

khubsurt ahsas khubsurrat shbdo ka syojan .
badhai

Urmi ने कहा…

वर्मा जी आपकी ये कविता सबसे अलग सबसे जुदा है! बहुत पसंद आया मुझे! आपने प्यार शब्द को इतने सुंदर से व्यक्त किया है कि कहने के लिए शब्द कम पर गए!

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

वाह ! कविता में विज्ञानं !!
पहली बार रासायनिक काव्य पढने मिला . विज्ञानं का छात्र होने के नाते आभार आपको .

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

bahut hi achcha laga aapka ye anokha experiment!!!!

KK Yadav ने कहा…

नहीं-नहीं !!
निरावेशन की
शून्यता मुझे मंजूर नहीं है
बेशक मैं
घूमता रहूँगा तुम्हारे इर्द-गिर्द
ताउम्र बिना रुके; निरंतर ---

....bahut sundar..kuchh alag andaj men likhi kavita..badhai.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

...Yah to bahut kathin kavita hai.
Mere Blog par bhi ayen aur meri new pic. dekhen.

anil ने कहा…

बहुत खूब नए तरह का प्यार देखने को मिला .

बेनामी ने कहा…

bahut bahut interesting poem hai!! maza aa gaya!Science aur romance..

shikha varshney ने कहा…

वाह विज्ञान के साथ प्यार बहुत खूब ..मजा आ गया पड़कर.