जलते तवे पर
एक बूँद सा मैं जला.
पलांश में आया
भयानक जलजला
और मैं,
भाप बनकर उड़ चला
शायद दिल में हसरत थी
बादल बनने की;
तुम्हारे छत पर
चादर सा तनने की
भीगो देना चाहता था
तुम्हारा छत;
बरसना चाहता था
अनवरत
तुम जहां आकर
गुनगुनाती हो
हर बारिश के साथ
भीग जाती हो.
पर शायद
वायुदाब की कमी थी
या शायद
मेरे अन्दर ‘आब’ की कमी थी
बादल नहीं बन पाया
तरसता रह गया बरसने को
आज फिर अपने अन्दर
और अधिक आब इकट्ठा करके
किसी जलते तवे को तलाश रहा हूँ
तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर
मैं सावन ----
एक बूँद सा मैं जला.
पलांश में आया
भयानक जलजला
और मैं,
भाप बनकर उड़ चला
शायद दिल में हसरत थी
बादल बनने की;
तुम्हारे छत पर
चादर सा तनने की
भीगो देना चाहता था
तुम्हारा छत;
बरसना चाहता था
अनवरत
तुम जहां आकर
गुनगुनाती हो
हर बारिश के साथ
भीग जाती हो.
पर शायद
वायुदाब की कमी थी
या शायद
मेरे अन्दर ‘आब’ की कमी थी
बादल नहीं बन पाया
तरसता रह गया बरसने को
आज फिर अपने अन्दर
और अधिक आब इकट्ठा करके
किसी जलते तवे को तलाश रहा हूँ
तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर
मैं सावन ----
21 टिप्पणियां:
आपकी कविता अच्छी लगी
शुक्रिया
शशक्त अभिव्यक्ति .......... गहरी रचना है ....... कमाल का लिखते हैं आप ..... लाजवाब
aapki kawita me ek tarah ka jadu hota hai ............bahut hi sundar
वर्मा जी
भावनाओ को इतनी बारीकी से उकेरा है आपने कि --
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति --
बहुत कोमल भाव ---
बेहतरीन !!
"तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर
मैं सावन "
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
"तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर"
पूरी कविता की जान हैं ये पंक्तियां. बहुत -बहुत बधाई.
sundar bhav..prem aur deewangi ka sundar rachaav...!
श्रीमन, कविता तो बहुत सुन्दर है, मगर आप को नहीं लगता कि इरादों में उग्रता झलकती है ?
bahut sundar rachnaa hai bano baadal barso chhat pat
बेहतरीन कविता
bahut sunder rachna hai...
ek-ek shabd main gahraee hai.....
आज फिर अपने अन्दर
और अधिक आब इकट्ठा करके
किसी जलते तवे को तलाश रहा हूँ
तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर
अदभुध रचना............. बूँद बन कर उड़ना और फिर बरसने की चाह.......... गहरे भाव
तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर !!
बहुत ही बेहतरीन शब्दों के साथ सजी यह रचना आभार् ।
बहुत सुंदर कविता लिखा है आपने! बस यही कहूँगी कि आपकी लेखनी को सलाम! आपका हर एक ब्लॉग इतना ख़ूबसूरत है कि कोई जवाब नहीं!
आज फिर अपने अन्दर
और अधिक आब इकट्ठा करके
किसी जलते तवे को तलाश रहा हूँ
तय है कि एकदिन मैं
बादल बनूंगा
बरसूंगा तुम्हारे छ्त पर
मैं सावन ----
aap bahut hi behatrin likhate hai jiska varrnan nahi .
jalte tawe par boond sa jalna..
bahut khoob comparison kiya hai aapne
bahut sunder abhivyakti,tave par boond aur baadal ban jane ka sapna bahut khub.
आपकी कविता अच्छी लगी
शुक्रिया
तलाश जलते तवे की....संभव हो तो इस रचना को अपने स्वर में रिकॉर्ड करके भेज दें,एक छोटा परिचय भी ....rasprabha@gmail.com
Aksar hee aapkee rachnayen,mujhe nishabd kar jaatee hain...anubhav se upje alfaaz...jo dilme utare bina ruk nahee sakte...
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