शनिवार, 15 मई 2010

अब उठा ही लो कुदाली .....

चिडियो ने

वतन है छोडा

विचरण करते यहाँ

अब तो चहुँ ओर

काग जी,

थोथे हैं

पक्षी संरक्षण के आँकड़े

ये तो हैं महज

कागजी.

************

खयाली घोड़े

तुमने तो बहुत

कुदा ली,

लौट आओ हकीकत में

अब उठा ही लो

कुदाली.

10 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Razia ने कहा…

शब्दों की खूबसूरत बाजीगरी
भाव भी बहुत सुन्दर है

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

Very good.......

दिलीप ने कहा…

khoobsoorat rachna...

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

एक बार फिर शब्दों का बेहतरीन प्रयोग...उम्दा रचना..बधाई वर्मा जी

vandana gupta ने कहा…

hamesha ki tarah bahut sundar bhav.......kal ke charcha manch par aapki post hogi.

वाणी गीत ने कहा…

खयाली बाते बहुत हुई अब उठा ही लो कुदाली ...
हकीकत की जमीन पर कदम रखने भी जरुरी ...
अच्छा सन्देश ...!!

माधव( Madhav) ने कहा…

moyivating poem


http://madhavrai.blogspot.com/

http://qsba.blogspot.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत दिन के बाद ये शब्दों का चमत्कार दिखाया है....बहुत बढ़िया

दीपक 'मशाल' ने कहा…

सत्य का आह्वाहन