सोमवार, 31 मई 2010

'पीना और जीना'

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में मेरी व्यंग्य रचना 'पीना और जीना' पढने के लिये क्लिक करें

पीना और जीना

3 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

पढ़ ली सर , बहुत अच्छी है , चूँकि उस प्रतियोगिता पर मैंने सुरु से कोई भी टिपण्णी नहीं लिखी इसलिए इस बार भी नहीं लिखी !

Udan Tashtari ने कहा…

पढ़ लिए हैं सर पहले ही.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सूचना के लिए आभार!