सम्बंधों से छिन गये हैं उनके आयाम
अनुबन्धों को रात-दिन कर
रहे प्रणाम
विसंगतियों के हर तरफ
अंश पल रहे
बबूल सरीखे दिल में
दंश पल रहे
रक्तरंजित दिन हुआ, आदमखोर शाम
अनुबन्धों को रात-दिन कर
रहे प्रणाम
घर के आंगन में
खंडहर निवास
किस्तों में रीत रहे
आस्था-विश्वास
नीम के पेड़ पर क्यू तलाशते
हैं आम
अनुबन्धों को रात-दिन कर
रहे प्रणाम
मुट्ठी में बन्द है
रेगिस्तानी रेत
उठ कर देखो तो
उजड़ गये खेत
देहरी पर ठिठका है जीजिविषा
संग्राम
अनुबन्धों को रात-दिन कर
रहे प्रणाम
17 टिप्पणियां:
सम्बंधों से छिन गये हैं उनके आयाम
अनुबन्धों को रात-दिन कर रहे प्रणाम
संबंधों पर एक सार्थक रचना ...आज हर रिश्ता मुट्ठी से रेत के समान फिसलता स लगता है ...
बहुत संवेदनशील रचना .
सम्बंधों से छिन गये हैं उनके आयाम
अनुबन्धों को रात-दिन कर रहे प्रणाम
बेहतरीन विश्लेषण करती रचना.
देहरी पर ठिठका है जीजिविषा संग्राम
अनुबन्धों को रात-दिन कर रहे प्रणाम
बहुत बढिया अभिव्यक्ति !!
सटीक और शानदार रचना.
अनुबंधों को कर रहे प्रणाम ...
हो तो यही रहा है ...
मगर इसे बदलना भी हमें ही होगा ...
हम बदलेंगे , युग बदलेगा ...
वर्तमान समय को अच्छी तरह प्रदर्शित कर दिया है आपने कविता में ...
आभार ..!
सभी है एक जैसे, किस पर उठाए उंगली,
सभी कहते, सबका मालिक एक राम !
सब भगवान् भरोसे ..
सबका मालिक राम,
हालत-ए-राम-राम ....
संवेंदंशील रचना, साथक व्यंग्य.. लिखते रहिये ...
देहरी पर ठिठका है जीजिविषा संग्राम
जी हकीकत है ये -सशक्त रचना !
किस्तों में रीत रहे आस्था विश्वस यह पंक्तियाँ गहरा अर्थ लिये हैं ।
har para alag alag samasyaon ki padtaal kar raha hai .,..umda rachna hai verma ji
मेरे लिए आपकी आज की ये कविता बहुत कड़ी है भाई .... समझने के लिए कई बार सिर खुजाता रहा :)
आज का सच कह दिया…………बेहतरीन रचना।
बहुत सुंदर और शानदार रचना.........
मुट्ठी में बन्द है
रेगिस्तानी रेत
.....
आज के सच को उजागर करती बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति...आभार...
घर के आंगन में
खंडहर निवास
किश्तों में रीत रहे
आस्था-विश्वास
कवि की अद्भुत कल्पनाशक्ति का जीवंत प्रमाण है, यह कविता
वर्मा जी, इस अप्रतिम कविता के लिए बधाई स्वीकार करें।
किस्तों में रीत रहे
आस्था-विश्वास
नीम के पेड़ पर क्यू तलाशते हैं आम
अनुबन्धों को रात-दिन कर रहे प्रणाम
bबिलकुल सही है आदमी ने जो बोया है वही तो काटना है। सुन्दर रचना। बधाई।
सशक्त अभिव्यक्ति
bahut achcha likha hai aapne.
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