बुधवार, 8 दिसंबर 2010

अगला धमाका होने तक ..


आज फिर

बम धमाका हुआ है,

प्रशासन फिर

नींद से जाग गया है.

लाल बत्ती युक्त गाड़ियाँ

फिर दौड़ने लगी हैं सड़कों पर

बैरकें लगा दी गयी हैं,

सड़क पर आवाजाही

प्रतिबन्धित कर दी गई हैं.

फिर

दिनचर्या को बार-बार

उलाहने दिये जायेंगे;

खुफिया कैमरे की

नई प्लान बनेगी;

हर आम आदमी को

रखा जायेगा सन्देह के दायरे में;

पूरा शहर रौशन होगा

कैमरे के फ्लैश से;

प्रायोजित जीजिविषा की तस्वीरें

बाँटी जायेंगी.

सरकार चाक-चौबन्द है

कुछ रातें नज़रों में ही

काटी जायेंगी,

फिर इंतजार किया जायेगा

जीवन सामान्य होने तक

तब तक नींद फिर हाबी होगी

प्रशासन की आँखों में

वह फिर सो जायेगी

अगला धमाका होने तक.

11 टिप्‍पणियां:

वाणी गीत ने कहा…

फिर सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी जाएगी ...
इतनी असुरक्षित है हमारी व्यवस्था कि पिछले 65 सालों से और कड़ी , और कड़ी करने के बावजूद भी सुरक्षित नहीं ...!

Rewa Tibrewal ने कहा…

wah kya likha hai apne.....vartman stithi ko bayan kiya hai....


mere blog par padhe "apang "

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हर आम आदमी को

रखा जायेगा सन्देह के दायरे में;

पूरा शहर रौशन होगा

कैमरे के फ्लैश से;

और अगला धमाका होने से पहले ही नींद आ जाती है ....जागी ही कब सरकार ...जांच होती रहती हैं बस ..

Majaal ने कहा…

जितनी बार आपकी रचनाए पढ़ी है साहब, प्रस्तुतीकरण को हमेशा प्रभावशाली पाया है. बाकी हमारे हिसाब से, वो नतीजे की दरकार ही होती है, जो एक कवि और पत्रकार को प्रथक करती है. पत्रकार को तो फिर भी निर्माता/निर्देशक अदि का बंधन होता है, पर कवि को तो विचार व्यक्त करने की पूरी स्वतंत्रता होती ही है ;)
लिखते रहिये ....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

फिर इंतजार किया जायेगा जीवन सामान्य होने तक तब तक नींद फिर हाबी होगी प्रशासन की आँखों में वह फिर सो जायेगी अगला धमाका होने तक.
--
हकीकत से रूबरू करा दिया आपने!
ठीक ही तो है!
अभी तन्द्रा है फिर सोने बारी है!
यही तो नियति हमारी है!

vandana gupta ने कहा…

एक कटु सत्य को जुबान दे दी………………………गज़ब की प्रस्तुति सीधे चोट करती है।



आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

POOJA... ने कहा…

वाह... न जाने इन आतंकियों को नींद क्यूं नहीं आती???

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बिलकुल सही बात कही आपने .

सादर

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

dhukhbhara sach! achcha andaz!

Kailash Sharma ने कहा…

प्रशासन की आँखों में

वह फिर सो जायेगी

अगला धमाका होने तक..

सरकार जागती ही कहाँ है?
वह इंतज़ार करती है किसी घटना का जो उसे नींद से जगा सके. बहुत ही कड़वी सच्चाई का प्रभावी चित्रण..आभार.

शरद कोकास ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति है