मंगलवार, 30 जून 2009

चार दुधमुहे बच्चे मरे हैं ---


ये आग जो लगी है
जल्दी काबू कर ली जाती
पर क्या करें सभी कर्मचारी अभी तक तो
पिछली लगी आग को ही बुझा रहे हैं
वे तो बहुत मसरूफ हैं
आग फ़िर न लगे इसके उपाय सुझा रहे हैं
और फ़िर
इतनी बड़ी आग पर जल्दी काबू पाना भी
आग की तौहीन है
आग तो आग है
इसका क्या!
यह कभी लग जाती है
तो कभी लगाई जाती है
इसी तरह तो
सोती कौम जगाई जाती है
गनीमत है कि हादसा बड़ा नहीं हुआ
अब तक कोई मुद्दा खड़ा नहीं हुआ
क्या कहा 'कैजुअल्टी' ?
अरे! वह तो न के बराबर है
सिर्फ़ चार दुधमुहे बच्चे मरे हैं
बाकी सब पहले भी अधमरे थे
आज भी अधमरे हैं
एक झोपडी में सो रहा
उसका बाप मारा है
मैं तो कहता हूँ
सिसक-सिसक कर जी रहा था
यूँ समझो कोई पाप मारा है
वह जो कोने में बैठी है चुपचाप
अरे वही
जो अधजली चुनर से लिपटी है
जी हाँ !
जिसकी पिछले महीने शादी हुई थी
उसका निठल्ला पति मरा है
बाकी सब ठीक है
माहौल बस डरा-डरा है
.
अजी! आग अभी बुझाये कैसे
अभी 'उनको' भी आना है
आग बुझाने का उद्घाटन तो
उन्हीं से करवाना है
वे आते ही कम्बल बाटेंगे
आश्वासन और संबल बाटेंगे
ये कितने खुशकिस्मत हैं
इन्हे तो 'लाइव' दिखाया जाएगा
आग के बीच दम तोड़ता
इनका 'लाइफ' दिखाया जाएगा
वो जिंदा ही कहाँ था
जो अभी-अभी मरा है
माहौल बस डरा-डरा है
माहौल बस -----

8 टिप्‍पणियां:

ओम आर्य ने कहा…

आपकी कविता का दायरा बहुत ही बडा होता है...........हमने सुना है कविता की दायरा जितनी ही बडी होती है उतना ही बडा कवि होता है ..........बहुत ही सुन्दर .........

USHA GAUR ने कहा…

बहुत खूब वर्मा जी
त्रासदी का सत्य झकझोर गयी

Razia ने कहा…

वह जो कोने में बैठी है चुपचाप
अरे वही
जो अधजली चुनर से लिपटी है
जी हाँ !
जिसकी पिछले महीने शादी हुई थी
उसका निठल्ला पति मरा है
=========================
अत्यंत मार्मिक सत्य का बयान किया है.

सुरभि ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति......ऐसे ही दिल को झकझोड़ देने वाले विचारो को व्यक्त करते रहिये और समाज को जागते रहिये.

निर्मला कपिला ने कहा…

bबहुत ही मार्मिक और हमारे तँत्र पर छोट कर्ती हृद्य्स्पर्शी आभिव्यक्ति है आभार्

Urmi ने कहा…

बहुत सुंदर कविता लिखा है आपने ! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है! बड़ा ही मार्मिक घटना है जिसे आपने बड़े खूबसूरती से प्रस्तुत किया है!

M VERMA ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी को 'अभिव्यक्ति को महसूस कर अभिव्यक्त करने के लिये'
thanks a lot

shama ने कहा…

Is rachnape kya comment kiya jaa sakta hai...?