शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

एहसासों की छुवन ~~

~~
धूल के मानिन्द
दिग्भ्रमित से
उड़ते रहे एहसास मेरे,
चूर-चूर हो रहे
हर पल; हर क्षण
विश्वास मेरे.
तुम इन्हें गर
अपने एहसासों की
छुवन से भीगो दो
तो शायद इन्हें
इनका ठांव मिल जाये
दूर हो भटकन इनकी
गर भोर की उजास लिये
इन्हें इनका गांव मिल जाये
~~~

25 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वर्मा जी!
आपने तो इस शब्द-चित्र में
लोटे में समन्दर समा दिया है।
बधाई!

वाणी गीत ने कहा…

एहसासों की छुवन से टूटते दिग्भ्रमित विश्वास को आधार मिल जाये ...बहुत शुभकामनायें ...!!

seema gupta ने कहा…

दूर हो भटकन इनकी
गर भोर की उजास लिये
इन्हें इनका गांव मिल जाये
"बेहद सुन्दर भाव , चित्र भी मनभावन..."

regards

mehek ने कहा…

sunder sachhe mann ke ehsaas,amen

vandana gupta ने कहा…

ahsason ki chooan aisi hi hoti hai ........bheeni bheeni.........mand mand bahti bayar jaisi.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच में किसी की छुवन से कितना कुछ हो जाता है .......... किसी के स्पर्श से क्या कुछ हो जाता है .. सुन्दर भाव है इस रचना में .........

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

verma ji, behatareen abhivyakti.............badhai sweekaren.

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह वर्मा जी क्या एहसासों को शब्दों मे पिरोया है।दूर हो भटकन इनकी
गर भोर की उजास लिये
इन्हें इनका गांव मिल जाये
खूबसूरत एहसास बधाई

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
क्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

धूल के मानिन्द
दिग्भ्रमित से
उड़ते रहे एहसास मेरे,
चूर-चूर हो रहे
हर पल; हर क्षण
विश्वास मेरे.
बहुत ख़ूबसूरत पक्तिया है वर्मा जी!

Shruti ने कहा…

दूर हो भटकन इनकी
गर भोर की उजास लिये
इन्हें इनका गांव मिल जाये

ehsaaso ko bahut hi sudar shabdo emin piroya hai..

-Sheena

शरद कोकास ने कहा…

बहुत सौम्य पंक्तियाँ है यह और आशावाद से भरपूर ।

वर्तिका ने कहा…

wow sir...wat a beautiful thought...ehsaason aur vishwaas ko dhool ke kanno ke roop mein dekhnaa.... aur phir kisi ke bheege chuwan se unko thaanv milnaa....

just lovely... na jaane kitne logon nen yeh baat kahi hogi, par iss tarah se kisi ne nahin ...

Chandan Kumar Jha ने कहा…

एहसासो से भरी सुन्दर रचना । बहुत सुन्दर ।

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

umda shabd chitra ..........आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं.

sandhyagupta ने कहा…

Deepawali ki dheron shubkamnayen.

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

wah.......

abhishek ने कहा…

aapki kavita padh kar man chanchal ho gaya ki aapko badhai du.

Prabhat Kumar ने कहा…

aapki kavita me ek naya khushboo ka ehsaas hua hai aur puri series ko read karne ka prayas kar raha hu

thanks

your nephew

prabhat kumar
muzaffarpur

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

jaise baag ki har kali par yauvan aa gaya har megh neer se bharpoor bhar gaya

bahut umdha

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

kuch hi shabdon mein saagar sammaa gaya ho jaise...ek ek shabd jaise wishaal anubhavon ki nadiyaa...
ati sundar

Avinash Chandra ने कहा…

Kuchh bhi kahna kam hai..adbhut shabd...apratim bhav

निर्झर'नीर ने कहा…

सुन्दर भाव ख़ूबसूरत

बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

bahut hi achhi rachna...
dil ko chhu gayi aapki rachna...
aapki agli rachnaon ka intzaar rahega...
mere blog me is baar " nayi duniya "
jaroor aayein, aapke margdarshan ki awayshkta hogi....
http://i555.blogspot.com/