लतर ने अपना लंच और पानी का कैप्सूल पाकेट में डाला, होमवर्क का माईक्रोचिप कलाई पर चिपकाया
और स्कूल जाने के लिये तैयार हो गयी. उसने माँ से कहा कि वह स्कूल जा रही है. माँ
ने उसे उसका नया नवेला 20 किलो
की क्षमता वाला आक्सीजन सीलिंडर उसके पीठ पर बाँधा. वह वज़न से दुहरी हो गयी.
लतर : माँ यह बहुत
भारी है.
हरीतिमा : कोई बात
नहीं बेटा तुम्हें तो पता है कि ले जाना ही पड़ेगा. तुम्हें तो पता है कि तुम्हारा
स्कूल Oxygen-Conditioned नहीं
है. और फिर यह उतना भी भारी नहीं है जितना पहले के बच्चे बस्ते ले जाते थे.
लतर : पर माँ ...
मेरी पीठ में यह सीलिंडर चुभता है.
हरीतिमा : अच्छे बच्चे
जिद नहीं करते.
और लतर स्कूल चली गई.
हरीतिमा काम में लग
गयी. वह टेलिविजन के उस समाचार के बारे में सोचने लगी :
"आज फिर शहर में
आक्सीजन रिफिलिंग सेंटर बन्द हैं. यह आक्सीजन का उत्पादन करने वाली यूनिट के एक
सीलिंडर के फट जाने के कारण हुआ है. आक्सीजन की कमी के कारण जमाखोरी बढ़ गयी है और
नकली आक्सीजन की आपूर्ति के कई मामले पकड़े गये हैं. सरकार हमेशा की तरह मामले को
गम्भीरता से ले रही है. आक्सीजन मंत्री श्री कार्बन डाई जी ने आश्वासन दिया है कि
शीघ्र ही स्थिति काबू में आ जायेगी."
हरीतिमा ने दुश्चिंता
मे अपने लिये आक्सीजन की आपूर्ति को और कम कर दिया.
......... पर्यावरण के प्रति न चेते तो यह स्थिति दूर नहीं है.
20 टिप्पणियां:
बहुत ही सार्थक और सराहनीय प्रस्तुती के साथ उम्दा प्रेरक व्यंग भी ....
पर्यावरण दिवस पर अच्छी पोस्ट।
वैसे जब तक ऐसी नौबत आएगी तब तक तकनीक इतनी उच्च हो जाएगी कि ऑक्सीजन का सिलिंडर नहीं कैप्सूल चलेगा। सिलिंण्डर होगा भी तो बहुत हल्का और मनुष्य की शारीरिक क्षमता भी बहुत कम हो जाएगी।
@ उसने धीरे से अपने पीठ पर बँधे आक्सीजन सीलिंडर जिसका सम्बन्ध एक पतली सी पाईप के जरिए नाक तक था, के कंट्रोल नाब को घुमा कर स्वयं के लिये आक्सीजन आपूर्ति की मात्रा को और घटा देती है.
वाक्य में त्रुटि है। ठीक कर लीजिए।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने वाली एक बेहतरीन प्रस्तुति. बहुत खूब!
achchi poat...zaruri hai ped lagana varna socho agar petrol ki tarah hava bikne lagi to kya hoga...
yahi ham bhi sochte hai........
ki O2 ke ek pamp ke liye ham bhi jaldi hi aply kar de.kyu ki cng ke jagah O2 jyada bikega aane wale samay me.
वह वक्त भी दूर नहीं, जब यह आम बात हो जायेगी !
आगे यही देखना बाकी है...विचारणीय पोस्ट
क्या ब्लोग्वानी ऐसे ब्लोगों को रख कर खुश होता है या यह उसकी मजबूरी है
देख लीजिये खुद ही ब्लोग्वानी को जहां मां बहन की हद दर्जे की अश्लील गालियाँ खुले आम दिखाई जाती हैं आगे पढ़ें और देखें
पर्यावरण के प्रति सजग होना होगा...
शाह नवाज़ भाई से सहमत.उम्दा पोस्ट .सधी हुई लेखनी गंभीर मुद्दे पर
पर्यावरण दिवस पर अच्छी जागृत करती पोस्ट।
बढ़िया विज्ञान लघुकथा...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 06.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
'पर्यावरण के प्रति न चेते तो यह स्थिति दूर नहीं है.'
- वाजिब चिंता.
जायज चिंता
आनेवाले समय की तस्वीर दिखा दी आपने तो...
अच्छा आलेख
प्रेरक ।
ghazab ghazab ghazab ...bhavishya ka chasham laga ke jo manjar dikhaye hain aapne...andar tak sahma gaya...
पर्यावरण के प्रति जागरूक करने वाली विचारणीय पोस्ट...
सराहनीय प्रस्तुती ...
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