निरावेशन की शून्यता मुझे मंजूर नहीं है ....
आँसू न हो
किसी किसान की आँख में
अबकी बरस,
बादल हर खेत में जाकर
झूमकर तूँ
अब तो बरस.
.
जब से तुमसे
आँख लगी,
अर्सा हो गया सोये हुए
रात आँखों में कटी
मुद्दतों से न
आँख लगी.
sundar prastuti.,,,,,,gahre bhav.
बहुत सुन्दर शब्दों की बाजीगरी और सुन्दर भाव
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ
बरस और आँख लगी....दोनों शब्दों में गज़ब का चमत्कार किया है...सुन्दर प्रस्तुति
लाजवाब रचना...नीरज
विरोधाभ्हासी अर्थो से बनी सुंदर क्षणिका !
पहली कविता में की गयी प्रार्थना स्वीकार हो..ईश्वर करे किसी किसान की आँख में अब के बरस न आंसू हों...दूसरी रचना प्रेम के अधीन मन की स्थित बता रही है.
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7 टिप्पणियां:
sundar prastuti.,,,,,,gahre bhav.
बहुत सुन्दर शब्दों की बाजीगरी और सुन्दर भाव
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ
बरस और आँख लगी....दोनों शब्दों में गज़ब का चमत्कार किया है...सुन्दर प्रस्तुति
लाजवाब रचना...
नीरज
विरोधाभ्हासी अर्थो से बनी सुंदर क्षणिका !
पहली कविता में की गयी प्रार्थना स्वीकार हो..ईश्वर करे किसी किसान की आँख में अब के बरस न आंसू हों...दूसरी रचना प्रेम के अधीन मन की स्थित बता रही है.
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