देसवा क हमरे समाचार हो हमके तू बतावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
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कउने खेतवा में चना बोआयल
कइसे बगइचा से लकड़ी ढोआयल
केतना भयल बनिया क उधार हो हमके तू बतावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
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अबकी कटहर क केकर हौ पारी
बऊर आ गयल होई अमवा के डारी
मचल होई भौरन क गुंजार हो हमके तू बातावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
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गेहूं के पानी मीलल की नाहीं
गिरल बरधा अबले हीलल की नाहीं
फूलल होई सरसों अपार हो हमके तू बतावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
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गउवां के हमरे पुरवैया छुवत होई
टप-टप भोरहरी में महुवा चुवत होई
बीनत होई माई हमार हो हमके तू बतावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
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घर के खपड़ा पे कदुआ चढ़ल होई
अबकी त बछवा के नाथी नढ़ल होई
भुलाई गइल अमवा क अचार हो हमके तू बतावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
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बाबु अम्मा हमके जोहत त होइह
अपने बतिया से सबके मोहत त होइह
ओनसे कहा आइब अबकी बार हो हमके तू बतावा
फागुन क ठंडी बयार हो हमके तू बतावा
6 टिप्पणियां:
वर्मा जी आज आपने अपनी रचना में एक आम आदमी की ज़िंदगी लिख दी बनिया का उधार ,गेहूं का पानी मिलना ,बहुत मार्मिक हो गयी यह रचना कई पड़ाव पर या यूँ कहे दिल में अंदर तक असर कर गयी |
भोजपुरी ने रचना की मिठास बढ़ा दी। अति सुन्दर।
bhojpuri gave it a creative touch !!!
lovely
bada nimman kavita baa
अति सुन्दर।
बेहतरीन भोजपुरी गीत पढ़कर आनंद आ गया। आप भोजपुरी में और क्यों नहीं लिखते? वाह! बहुत ही बढ़िया।
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