चलो मान लिया
कि तुम नहीं
दृष्टिहीन हो,
पर फायदा क्या
जब तुम्हारे अंदर
दृष्टि ही न हो
*************
बिछा रखा था
जिसके लिये
हर राह में आईना
आस टूटने लगी है
अब तक तो वो
आई ना
***************
ओ री सखी !
अब तो शुरू कर दे
सजना
आ ही रहे होंगे
तुम्हारे
सजना
कि तुम नहीं
दृष्टिहीन हो,
पर फायदा क्या
जब तुम्हारे अंदर
दृष्टि ही न हो
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बिछा रखा था
जिसके लिये
हर राह में आईना
आस टूटने लगी है
अब तक तो वो
आई ना
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ओ री सखी !
अब तो शुरू कर दे
सजना
आ ही रहे होंगे
तुम्हारे
सजना
7 टिप्पणियां:
बहुत समय बाद आपने शब्दों का चमत्कार प्रस्तुति किया ... बहुत सुंदर तीनों क्षणिकाएं
आईना, दृष्टि और सजना
तीनो शब्दों को
पहना दिया आपने
अमोल अर्थों का
सुंदर गहना।
वाह!
क्या कहना!!
बेहद सुन्दर रचनायें।
बहुत सुंदर क्षणिकाएं...
बहुत ख़ूबसूरत रचनायें....
ये आई ना और अईना का प्रयोग बड़ा खूबसूरत है।
are waah
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