सोमवार, 13 दिसंबर 2010

धनिया कहे पियाजी से ~~


ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोकोक्तियाँ और कहावते प्रचलित होती हैं. ये गूढ़ अर्थ युक्त होते हैं. बचपन में सुनी एक इसी तरह की कुछ पंक्तियाँ :

"धनिया कहे पियाजी से

सुन लेहसुन मोर बात

सोआ रहा जब पालकी में

जीव गाजर हो जात"

अर्थात धनिया अपने पिया जी से कहती है कि आप मेरी बात सुन लीजिये. जब मैं शादी के बाद घर आते समय आपके साथ पालकी में सोई थी तो मैं अत्यंत लाजमयी हो गई थी.

धनिया : मसाला / धनिया नाम की स्त्री

पियाजी : पिया जी/ प्याज

लेहसुन : लेहसुन / सुन लो

सोआ : सोई / पालक के साथ उगने वाला साग

जीव गाजर हो जात : जी बहुत लजाता था / गाजर

11 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति ...

Majaal ने कहा…

हमारे ख्याल से इसका गूढ़ अर्थ यह है की आलस्य से जीवन का नाश होता है, अतः आलस्य त्यागो ...

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

वास्तव में लोकोक्तियों में बहुत गूढ़ अर्थ छुपा होता है !
पोस्ट अच्छी लगी!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

vandana gupta ने कहा…

बेहद गूढार्थ्।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अदभुत भाव, सुंदर चित्रण।


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दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

शरद कोकास ने कहा…

वाह भई वाह ! यह हमारी धरोहर है । लेकिन आजकल पियाजी , प्याज की तरह महंगे नज़र आ रहे हैं

निर्मला कपिला ने कहा…

मजाल जी की बात सही लग रही है। अच्छी कहावत। आभार।

शिवा ने कहा…

सुंदर लेख .
कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .

Gartu ने कहा…

बहुत देर से बचपन में दादा जी के द्वारा सुनाई इस लोकोक्ति की आधी पंक्ति याद आ रही थी। यूँ ही सोचा कि क्या गूगल पर यह भी मिल जाएगा। और मिल गया। धन्यवाद

विकास पाण्डेय ने कहा…

मुद्रा अलंकार

Unknown ने कहा…

जब मैं ग्यारहवीं में था तब मेरे हिंदी वाले गुरुजी ने मुझे पहली बार यह पंक्ति सुनाई थी मुझे थोड़ा बहुत याद था तो आज मैंने गूगल पर खोजा और संयोग से मिल भी गया
धन्यवाद