शुक्रवार, 17 जून 2011

अब तक संचित वह क्षण ..



तब जबकि
तुम्हारे काँपते हाथों पर
मैनें
अनायास
रख दिया था हाथ;
और फिर
क्षण भर के लिये
प्रकम्पित हो गया था
सम्पूर्ण कायनात,
परिलक्षित हुआ
चिर संचित
सम्पूर्ण चेतना का
अवचेतित स्वरूप
अवशोषित हो गया था
जब पलांश में
सूर्य रश्मि;
वह प्रखर धूप.
तुम चली गयी थी
अनबोले जब
सबकुछ कहकर
वह पावन छवि
नज़र चुराते चितवन की
मधु प्रमत्त मधुकर सा
मंजर वह मदहोश
अब तक संचित वह क्षण
कहाँ मुझे है होश !!

29 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मधु प्रमत्त मधुकर सा

मंजर वह मदहोश

अब तक संचित वह क्षण

कहाँ मुझे है होश !

बहुत सुन्दर और कोमल भाव ..अच्छी प्रस्तुति

विभूति" ने कहा…

sunder prastuti...

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर और कोमल भाव|

रश्मि प्रभा... ने कहा…

तुम्हारे काँपते हाथों पर मैनें अनायास रख दिया था हाथ; और फिर क्षण भर के लिये प्रकम्पित हो गया था सम्पूर्ण कायनात...waah , bahut hi swabhawik chitran

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर कोमल अनुभूतियां। बधाई।

vandana gupta ने कहा…

वह पावन छवि

नज़र चुराते चितवन की

मधु प्रमत्त मधुकर सा

मंजर वह मदहोश

अब तक संचित वह क्षण

कहाँ मुझे है होश !!

वाह्…………बेहद कोमल भावों की कोमल अनुभूति………सुन्दर प्रस्तुति।

विभूति" ने कहा…

bhut bhut sunder prstuti...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... किसी का स्पर्श ... पल भर का साथ सब कुछ बदल देता है ...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत कोमल अहसास..बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..

कविता रावत ने कहा…

तब जबकि
तुम्हारे काँपते हाथों पर
मैनें
अनायास
रख दिया था हाथ;
और फिर
क्षण भर के लिये
प्रकम्पित हो गया था
...bahut sundar jeete ahsas...

Arvind Mishra ने कहा…

वाह अनुभूति का वह कालजयी क्षण !

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुन्दर!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

bahut hi sundar.

Kailash Sharma ने कहा…

कोमल अहसासों की बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

क्षण का संचय !अपनी लघुता से निकल कितना असीम बन जाता है छोटा-सा क्षण !

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुति

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut sundar madhur ehsaas se paripoorn rachna.bahut achcha laga aapke blog par aana.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर रचना,बढ़िया प्रस्तुति,...
--जिन्दगीं--

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

behtareen abhivyakti:)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुंदर।

Vandana Ramasingh ने कहा…

अब तक संचित वह क्षण...

बहुत सुन्दर

vidya ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत कोमल भाव की सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट....
new post...वाह रे मंहगाई...

ज्योति सिंह ने कहा…

तुम्हारे काँपते हाथों पर मैनें अनायास रख दिया था हाथ; और फिर क्षण भर के लिये प्रकम्पित हो गया था सम्पूर्ण कायनात.bahut sundar prastuti

dinesh aggarwal ने कहा…

बेहतरीन सुन्दर एवं कोमल भाव की अभिव्यक्ति...
कृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

मनोज कुमार ने कहा…

भावनाओं की तरंग प्रवाहित हो रही है।

amrendra "amar" ने कहा…

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....